राजस्थान के लोकनृत्य के बारे में जानकारी

लोकनृत्य वह कला है, जिसके द्वारा हाव-भाव, अंग संचालन, भाव भंगिमाओं के माध्यम से मनोदशा को व्यक्त किया जाता है । ये आडम्बर हीन नियमों उपनियमों के झंझाल में आबद्ध नही होने के कारण अपने स्वभावगत सुन्दरता के कारण अधिक प्रभावशाली होते है ।☆ राज्य के प्रमुख लोकनृत्य को चार भागों में विभाजित किया गया है । 1. जनजातीयों के नृत्य 2. व्यवसायिक लोकनृत्य 3. सामाजिक-धार्मिक नृत्य 4. क्षेत्रिय नृत्य । विभिन्न जातीयों के नृत्य एक नजर :1. भील :- गवरी/राई, युद्ध, द्विचकरी, गोसाई, घूमरा, साद, पालीनोच, हथमनी, नेजा नृत्य । 2. गरासिया :- रायण, मोरिया, जवारा, गौर, माँदल, कूद, लूर, वालर नृत्य। 3. कथौड़ी :- मावलिया, होली नृत्य । 4. मेव :- रणबाजा, रतबई नृत्य । 5. रेबारी :- गैर, लूम्बर नृत्य । 6. सहरिया :- लहँगी, शिकारी नृत्य । 7. भील-मीणा :- नेजा नृत्य ।8. कंजर :- घोड़ी, लहरी, चकरी, धाकड़ नृत्य । 9. गुर्जर :- चरी नृत्य | 10. कालबेलिया :- शंकरिया, पणीहारी, बागडियां, इण्डोणी नृत्य ।

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